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दोस्तों मैं हूँ खोमन साहू आप सबका स्वागत है चिपटेक सोल्यूशन में दोस्तों आज हम देखेंगे कि स्पीकर क्या है (What Is Speaker), यह कैसे काम करता है मात्रक, टेस्टिंग और इसका उपयोग कैसे किया जाता है इसकी पूरी जानकारी आज हम इस पोस्ट में पढ़ेंगे, दोस्तों आज का पोस्ट थोड़ा लंबा होने वाला है क्योंकि आज के पोस्ट में मैंने स्पीकर (Speaker) के बारे में पूरा डिटेल चित्र के साथ समझने की कोशिश की है, दोस्तों इस पोस्ट को हम गहन अध्ययन करने के बाद ही लिखते और पोस्ट करते हैं और आशा करते हैं कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आएगा और आपके ज्ञान में वृद्धि करेगा अगर आपको हमारे पोस्ट में कोई कमी हो तो कृपा हमें कमेंट बॉक्स में बताएं ।
स्पीकर के बारे में | About Speaker
स्पीकर एक उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा को ध्वनि में परिवर्तित करता है। एक स्पीकर एक उपकरण होता है जो ध्वनि को विभाजित करता है और उसे आवाज के रूप में प्रसारित करता है। यह विभिन्न उपयोगों के लिए उपलब्ध होता है, जैसे कि होम थिएटर, संगीत प्रणाली, कार आवाज प्रणाली, कंप्यूटर या लैपटॉप, और मोबाइल फोन।
स्पीकर आमतौर पर एक यूनिट के रूप में होता है, जिसमें ध्वनि को प्रसारित करने के लिए एक या एक से अधिक ड्राइवर या वूफर्स होते हैं। यह ड्राइवर विभिन्न तरह की ध्वनि तत्वों को उत्पन्न करने के लिए विद्युत संकेत को इंगित करते हैं।
स्पीकर का सिद्धान्त | Principal of Speaker (Theory)
स्पीकर का सिद्धान्त ध्वनि प्रसारित करने के लिए आवश्यक तत्वों के उपयोग पर आधारित होता है। यह ध्वनि को विभिन्न तारंगों में बदलने के लिए वातावरण में ऊंचाई और कमी के परिवर्तन को उत्पन्न करता है।
लाउडस्पीकर के कार्य सिद्धांत को “आवेशीय परिवर्तन के सिद्धांत” के तहत समझा जा सकता है। इसके अनुसार, ध्वनि को उत्पन्न करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन किया जाता है:
- आवेशीय ध्वनि के स्रोत से प्राप्त होने पर, लाउडस्पीकर में उच्च-अवधिता ध्वनि सिग्नल द्वारा विद्युतीय वातावरण उत्पन्न होता है।
- इस विद्युतीय वातावरण के कारण, स्पीकर में एक कॉइल मौजूद होती है जिसे एक उच्च-फ्रिक्वेंसी वाइट या कैपेसिटर से जुड़ा होता है।
- जब उच्च-अवधिता ध्वनि सिग्नल उच्च-तान मुद्रक में पहुंचता है, तो यह कॉइल और उच्चतर अवधिता वाइट या कैपेसिटर के माध्यम से विद्युतीय ऊर्जा में परिवर्तित होता है।
- उच्चतर अवधिता वाइट या कैपेसिटर के परिणामस्वरूप, एक प्राकृतिक तान उत्पन्न होता है, जिसे आवेशीय ध्वनि में परिवर्तित किया जाता है।
- यह तान स्पीकर के एंक्लोजर में संग्रहीत होता है और उससे ध्वनि के रूप में प्रसारित होता है।
इस प्रक्रिया के द्वारा, लाउडस्पीकर आवेशीय ध्वनि को विद्युतीय ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
स्पीकर में इस सिद्धान्त को प्राप्त करने के लिए तत्वों का उपयोग किया जाता है। इन तत्वों में मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- आवेशीय ध्वनि स्रोत (Inductive Sound Source): स्पीकर का पहला तत्व एक ध्वनि स्रोत होता है, जैसे कि ऑडियो आउटपुट डिवाइस, जैसे कि स्मार्टफोन, लैपटॉप, म्यूजिक प्लेयर आदि। इस स्रोत से आवेशीय ध्वनि उत्पन्न होती है, जो स्पीकर में भेजी जाती है।
- ड्राइवर(Driver): एक स्पीकर में एक ड्राइवर होता है, जिसे ध्वनि उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह ड्राइवर विभिन्न आवाज़ीय तत्वों को नियंत्रित करता है और उन्हें तारंगों में बदलता है। वूफर (Woofer) और ट्वीटर (Tweeter) ड्राइवर के उदाहरण हैं, जो निम्न और ऊँची आवाज़ों को प्रसारित करने के लिए उपयोग होते हैं।
- एंक्लोजर (Enclosure): यह तत्व स्पीकर के आवाज़ीय तत्वों को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग होता है। यह ड्राइवर को सुरक्षित रखने के साथ-साथ ध्वनि के आदान-प्रदान में मदद करता है तथा विभिन्न आवाज़ीय तत्वों के बीच संचार को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, एंक्लोजर आवाज़ीय प्रतिरोध को कम करने में भी मदद करता है, जिससे स्पीकर से उच्चतम संभावित आवाज़ प्राप्त हो सके। इसके अलावा, विभिन्न डिज़ाइन और आकार के एंक्लोजर विभिन्न आवाज़ीय प्रभावों को उत्पन्न करने में मदद करते हैं, जैसे कि आवरण, बेस-रिफ्लेक्शन, और ध्वनि के निर्गमन को सुधारना।
- क्रॉसओवर (Crossover): एक स्पीकर में क्रॉसओवर एक इलेक्ट्रॉनिक यूनिट होता है जो ध्वनि को विभिन्न आवाज़ीय तत्वों के बीच वितरित करता है। यह उपकरण वूफर और ट्वीटर के बीच तारंगों को विभाजित करता है और उन्हें अलग-अलग ड्राइवर पर भेजता है। इससे स्पीकर का प्रदर्शन और आवाज़ीय नियंत्रण मजबूत होता है और विभिन्न आवाज़ीय तत्वों के बीच संचार को सुनिश्चित किया जाता है।
इन सिद्धांतों का उपयोग करके, स्पीकर ध्वनि को उत्पन्न करता है और उसे प्रसारित करता है।
Denoting Letter – किसी भी सर्किट डायग्राम में स्पीकर (Speaker) को S+, S-, Spk , Spkt , B, lHE या piece से प्रदर्शित किया जाता है।
स्पीकर की इकाई | Unit Of Speaker
स्पीकर की इकाई उसकी चालकता (ध्वनिक विभाजन) को मापने और व्यक्त करने के लिए उपयोग होने वाली इकाई होती है। यह ध्वनि उत्पादन, प्रसारण और प्रतिक्रिया की माप और नियंत्रण में कार्यरत होती है।
स्पीकर की इकाई का माप वाट्स (Watts) में किया जाता है। यह ध्वनिक ऊर्जा की मात्रा को दर्शाता है, जिसे स्पीकर उत्पन्न कर सकती है। वाट्स की संख्या स्पीकर की चालकता का माप होती है और यह बताती है कि स्पीकर कितनी ध्वनि उत्पन्न कर सकता है या कितनी ऊर्जा को व्यय कर सकता है।
Unit of Speaker’s:
ohm – Empidend: स्पीकर का Empidend नापने के लिए ohm का उपयोग किया जाता है।
Watts(W) – Power: स्पीकर का Power नापने के लिए Watts(W) का उपयोग किया जाता है।
Hz – Frequency: स्पीकर का Frequency नापने के लिए Hz का उपयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए, एक 100 वाट की स्पीकर 100 वाट की ध्वनि उत्पन्न कर सकती है या 100 वाट की ऊर्जा को व्यय कर सकती है। वाट उत्पादित या व्यय की गणना स्पीकर के तार-जड़ तक पहुंचने वाली विद्युतीय शक्ति के आधार पर की जाती है।
इसलिए, स्पीकर की इकाई यानी वाट्स, ध्वनिक उत्पादन और प्रतिक्रिया की मात्रा को दर्शाने के लिए महत्वपूर्ण होती है।
What Is Capacitor? | संधारित्र क्या है? प्रकार, मात्रक, उपयोग, कार्य और टेस्टिंग
स्पीकर के कार्य | Work of Speaker’s
- ध्वनि के उत्पन्न होने: स्पीकर के ड्राइवर को एक विद्युत ध्वनि स्रोत से आवाज़ सिग्नल मिलते हैं। यह सिग्नल संगीत, टीवी, कंप्यूटर या अन्य उपकरणों से आ सकते हैं।
- सिग्नल के विशेष रूप से प्रसंस्कृतीकरण: स्पीकर के एक्टिव संगीत संचारिक तत्व सिग्नल को प्राप्त करते हैं और उसे विशेष रूप से प्रसंस्कृत करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स का उपयोग करते हैं। यह संगीत स्रोत के ध्वनि को साफ़, उच्चतम संभावित गुणवत्ता और प्रकाशमय बनाने में मदद करता है।
- तारंग-संचारकों का उत्पन्न होना: स्पीकर के ड्राइवर ध्वनि को तारंगों में बदलते हैं। वूफर ड्राइवर निम्न आवाज़ों के लिए जिम्मेदार होता है, जबकि ट्वीटर ड्राइवर ऊँचे आवाज़ों के लिए जिम्मेदार होता है। इस तरीके से, स्पीकर विभिन्न आवाज़ीय तत्वों को प्रसारित करके ध्वनि को प्रसारित करता है।
- ध्वनि का प्रसारण: स्पीकर के एंक्लोजर और ड्राइवर के संयोजन से ध्वनि को आवाज़ के रूप में प्रसारित किया जाता है। एंक्लोजर ध्वनि को संग्रहित करता है और उसे उच्चतम संभावित गुणवत्ता में प्रस्तुत करने में मदद करता है। स्पीकर के डिज़ाइन और आकार ध्वनि के प्रसारण के प्रभावों को भी प्रभावित करते हैं।
इस प्रकार, स्पीकर ध्वनि को उत्पन्न करता है, उसे संशोधित करता है, और उसे प्रसारित करता है ताकि हम उच्च गुणवत्ता की सुनाई दें ध्वनि का आनंद ले सकें। स्पीकर के ये सिद्धांत इसे एक महत्वपूर्ण उपकरण बनाते हैं जो हमें संगीत, फिल्में, गेम्स, और अन्य मल्टीमीडिया का आनंद लेने में मदद करता है।
स्पीकर के प्रकार | Type of Speaker’s
स्पीकर दो मुख्य प्रकार के होते हैं: पासिव स्पीकर और एक्टिव स्पीकर।
- पासिव स्पीकर (Passive Speaker): पासिव स्पीकर एक उपकरण है जो एक एम्पलीफायर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक वाणिज्यिक आवाज प्रणाली (commercial voice system) के साथ काम करता है। इसे एक संगठित विभाजित संगीत प्रणाली (organized split music system) से जोड़ा जाता है और एम्पलीफायर के माध्यम से प्रसारित होता है। पासिव स्पीकर के लिए एक विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता होती है जो उसे आवाज प्रणाली से प्राप्त करता है। पासिव स्पीकर में आपको अलग-अलग आवाज़ नियंत्रण, जैसे कि वॉल्यूम और टोन कंट्रोल, मिलता है। यह आमतौर पर स्थापित होते हैं और बड़े आकार के हो सकते हैं। पासिव स्पीकर उच्चतर माध्यम और उच्च फ्रीक्वेंसी की ध्वनि प्रसारित करने के लिए उपयुक्त होते हैं।
- एक्टिव स्पीकर (Active Speaker): एक्टिव स्पीकर उच्चतर स्तर के निर्देशित और एम्पलीफायर निर्माता संगठन के साथ सुदृढ़ किया गया है। इसके अंदर ही एम्पलीफायर और ध्वनि प्रसारित करने के लिए ड्राइवर होते हैं। एक्टिव स्पीकर स्वतंत्रता का एक अच्छा उदाहरण है, और इसे आप सीधे आउटपुट स्रोत, जैसे कि कंप्यूटर, मोबाइल या एक आधिकारिक आवाज प्रणाली से जोड़ सकते हैं। यह स्पीकर प्रयोगकर्ता को अधिकतम सुविधा प्रदान करता है, क्योंकि यह एकीकृत एम्पलीफायर के साथ आता है और संगीत के साथ ही पावर और नियंत्रण प्रदान करता है।
अर्थात, स्पीकर आपको ध्वनि का आनंद लेने और सुनने का मौका देता है। यह आपके आसपास के वातावरण को ध्वनिमय बनाता है और आपको संगीत, फिल्में, टीवी शोज, गेम्स और अन्य मल्टीमीडिया का आनंद लेने में मदद करता है। स्पीकर की गुणवत्ता और प्रदर्शन उसके ड्राइवर, आवाज़ के नियंत्रण, और उपयोगिता के आधार पर विभिन्न होती हैं।
स्पीकर में कई अतिरिक्त विशेषताएं भी हो सकती हैं, जैसे कि वायरलेस कनेक्शन के लिए ब्लूटूथ या वाई-फाई, ऑक्सिलरी इनपुट जैक, एक्सटर्नल स्टोरेज डिवाइस कनेक्शन, रिमोट कंट्रोल और समर्थित संगीत संकेतकों (एमपी 3, यूएसबी, सीडी) के उपलब्धता।
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मोबाइल और लैपटॉप स्पीकर एक प्रकार के आउटपुट उपकरण होते हैं जो ध्वनि को वायरलेस या तार संचार के माध्यम से प्रसारित करते हैं। ये स्पीकर आपको उच्च गुणवत्ता वाली साउंड प्रदान करते हैं ताकि आप अपने मोबाइल या लैपटॉप के द्वारा सुन रहे संगीत, वीडियो, गेम्स, या अन्य मल्टीमीडिया कंटेंट का आनंद ले सकें।
मोबाइल स्पीकर (Mobile Speaker): मोबाइल स्पीकर छोटे आकार और पोर्टेबल होते हैं। ये आमतौर पर ब्लूटूथ या केबल के माध्यम से मोबाइल या अन्य डिवाइस से जुड़ते हैं। ये बैटरी से चलते हैं और एक समय की अवधि देते हैं। आप उन्हें अपने पास ले जा सकते हैं और उन्हें आसानी से इधर-उधर ले जा सकते हैं।
लैपटॉप स्पीकर (Laptop Speaker): लैपटॉप स्पीकर मोबाइल स्पीकर की तुलना में थोड़े बड़े होते हैं। ये आपके लैपटॉप से सीधे जुड़े रहते हैं और ध्वनि को बेहतर ढंग से प्रसारित करते हैं। लैपटॉप स्पीकर में आमतौर पर दो या चार स्पीकर यूनिट्स होते हैं, जिन्हें आउटपुट के लिए व्यवस्थित किया जाता है। इसके अलावा, ये स्पीकर बास, ट्रेबल और वायब्रेशन को भी बढ़ाते हैं, जिससे ध्वनि का गुणवत्ता और गहराई बढ़ती है।
इन स्पीकर सिस्टमों में आमतौर पर आवाज़ के नियंत्रण के लिए आपको वॉल्यूम, टोन, बास और ट्रेबल के बटन या नियंत्रण प्राधिकार उपलब्ध होते हैं। इन स्पीकर यूनिट्स में आपको वायरलेस कनेक्शन विकल्प, USB और ऑक्सिलरी इनपुट, ऑडियो आउटपुट जैक, और बैटरी लाइफ भी मिलती है।
सारगर्भित करते हुए कह सकते हैं कि मोबाइल और लैपटॉप स्पीकर आपको प्रभावी सुर और आवाज़ का आनंद देने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो आपको अपने मल्टीमीडिया अनुभव को और भी मजेदार बनाते हैं। ये उपकरण पोर्टेबलता, उच्च गुणवत्ता ध्वनि, और उपयोग में आसानी के साथ आते हैं, जो आपकी सुनने की अनुभूति को बेहतर बनाते हैं।
आप इन स्पीकर को यात्रा, पार्टी, मीटिंग या घर में मनोरंजन के लिए उपयोग कर सकते हैं। इनका उपयोग बहुत सरल होता है, आप उन्हें अपने मोबाइल या लैपटॉप से आसानी से जोड़ सकते हैं और संगीत, फिल्में, गेम्स और अन्य मल्टीमीडिया सामग्री का आनंद ले सकते हैं।
स्पीकर का मल्टीमीटर के साथ टेस्ट | Test Speaker with Multimeter
स्पीकर को मल्टीमीटर के साथ टेस्ट करने के लिए निम्नलिखित तरीका अनुसरण कर सकते हैं:
- आवाज़ या डियोड (डीसी) मोड पर सेट करें: मल्टीमीटर को आवाज़ या डियोड (डीसी) मोड पर सेट करें। इसके लिए मल्टीमीटर के डायल को संशोधन या डीसी साइम्बल (Symble) के पास ले जाएं।
- मल्टीमीटर की प्रॉब कनेक्ट करें: मल्टीमीटर की प्रॉब को स्पीकर के दोनों टर्मिनल पर स्थानांतरित करें। प्रॉब के लाल प्रॉब को स्पीकर के पोजिटिव (+) टर्मिनल से जोड़ें और काली प्रॉब को स्पीकर के नेगेटिव (-) टर्मिनल से जोड़ें।
- मल्टीमीटर पढ़ें: मल्टीमीटर की डिस्प्ले पर देखें कि कोई पठनीय मान या आवाज़ीय संकेत है या नहीं। यदि स्पीकर में विद्यमान है तो मल्टीमीटर प्रॉब के बीच वोल्टमीटर माप दिखाई देगी और आवाज़ीय संकेत भी सुनाई देगा। यदि स्पीकर खराब है तो आवाज़ीय संकेत या वोल्टमीटर का पठनीय मान नहीं होगा।
यह तरीका सामान्यतः बेसिक स्पीकरों के लिए कार्यकारी होता है, लेकिन यदि आपके पास हाई-एंड स्पीकर हैं, तो आपको उच्चतम संभावित गुणवत्ता और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। अगर आपको असुरक्षित महसूस हो या अपनी स्पीकर की स्थिति को निश्चित करने में संकोच हो, तो आपको एक तकनीशियन की मदद लेनी चाहिए।
तो दोस्तों आज के इस Post में हमने देखा कि स्पीकर क्या है (What Is Speaker) यह कैसे काम करता है इसका उपयोग कैसे किया जाता है आशा करते हैं कि यह Post आप को पसंद आया होगा आपको इसी तरह का और Post मिलते रहे इसके लिए आप हमारी website को Follow करते रहो आशा करते हैं कि आज की ये टॉपिक में हमने हैं तो आपको Speaker के बारे में सही जानकारी दिया है अगर आपको किसी भी प्रकार की समस्या है तो आप हमारे Comment Box में Comments कर सकते हैं और अगर यह Post आपको अच्छा लगा तो अपने दोस्तों को Share करे Comment और Like करे। धन्यावाद