सांस लेकर अनलॉक होंगे स्मार्टफोन! नयी स्टडी से चला पता, फिंगरप्रिंट हुआ पुराना इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि मरे हुए इंसान के पर्सनल गैजट को अनलॉक नहीं किया जा सकेगा। यह जनसंख्या के विस्तार के बाद मानव जीवन को सुगम बनाने का एक और कदम है। अब वैज्ञानिकों ने तर्किक ढंग से प्रमाणित किया है कि अब स्मार्टफोन्स और अन्य डिवाइसेज को साँस लेकर अनलॉक किया जा सकता है। भारत में बहुत सारे मरे हुए लोगों का मोबाइल फोन और अन्य गैजेट्स अस्थायी ढंग से अनलॉक किए जा रहे हैं। हालांकि, ऐसा करने से स्मार्टफोन खत्म होने के बावजूद इंसानों की आवश्यकता के लिए बहुत मदद करता है।
एक रिसर्च स्टडी के अनुसार, यह तकनीक बहुत उच्च गुणवत्ता वाली होगी क्योंकि इसमें इंटेग्रेटेड पहचान विशेषज्ञता का महत्वपूर्ण रोल निभाएगी। इसका मतलब है कि मरने के बाद उनकी गैजेट्स का अनलॉक करना संभव नहीं होगा। वैज्ञानिकों ने यह सब जानकारी तकनीकी रिसर्च के जरिए हासिल की है। यह तकनीक सांस का उपयोग करके उपयोगकर्ता की पहचान करने के लिए होती है। इसे वैज्ञानिक द्वारा विकसित एक एआई मॉडल के माध्यम से अपनाया जाएगा।
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इस रिसर्च के आधार पर, सांस लेने के दौरान हवा में पैदा होने वाली टर्ब्युलन्स को एआई मॉडल के द्वारा पहचाना जा सकता है। इसमें नई स्टडी के माध्यम से इंसान के साँस लेने के बाद उत्कीर्ण होने वाले टर्ब्युलन्स का पता लगाया जा सकता है। इसमें हवा में उठते हलचल, संकेत और टर्ब्युलन्स को पहचानने की क्षमता होगी। वैज्ञानिक इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, चेन्नै के महेश पंचाग्नुला और उनकी टीम ने इस तकनीक में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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इस तकनीक द्वारा, अब स्मार्टफोन्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को साँस लेने के बाद अनलॉक किया जा सकेगा। इसकी सुविधा यह होगी कि उपयोगकर्ता अब अपनी सांस से अपने गैजेट को अनलॉक कर सकेंगे। इसके लिए, इंसान को एआई मॉडल के द्वारा पहचाना जाएगा कि क्या उसने पहले से ही नई सांस ली है या नहीं। ये टेस्ट साथ ही उपयोगकर्ता की पहचान के लिए अपनाए गए बायोमैट्रिक तकनीक के माध्यम से काम करता है। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक में 97 फीसदी एक्युरेसी दी है।